मृतकों के परिजनों का यह भी आरोप है कि पुलिस और प्रशासन द्वारा मृतकों के शव के सभी अंगों को दिखाएं बगैर पंचनामा बनाया गया तथा जानकारी दिए बगैर ही घटनास्थल के बगल वाले खेत में पोस्टमार्टम किया है। बगैर परिजनों को जानकारी दिए आनन-फानन खेत में ही पोस्टमार्टम करना संदेह के दायरे में है। मृतक के परिजनों का यह भी आरोप है कि पुलिस एवं प्रशासन द्वारा दबाव बनाकर बैगा परिवार के तय रीति-नीति के विरुद्ध जबरिया दाह संस्कार कराया गया।

परिजनों का यह भी आरोप है कि मृतक बैगा परिवार के घर के बगल में बने कवेलू के खुली झोपड़ी में जली हुई हालत में तीनों शव पड़े थे। शवों के ऊपर झोपड़ी के तीन-तीन फीट के तीन बल्ली जले हुए स्पष्ट रूप से दिख रहा था, परिजनों का सवाल है कि तीन-तीन फुट के केवल तीन बल्ली के जलने से तीन लोग जिंदा जलकर कैसे मृत हो सकते हैं? घटनास्थल को देखने से संदेह होता है कि इस घटना के पीछे कोई षड़यंत्र है। 

परिजनों के अनुसार पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर का कथन था कि शव जल चुका था, पोस्टमार्टम से मृत्यु के कारण का पता नहीं चला, मृत्यु के कारण का पता पुलिस इन्वेस्टिगेशन या फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चलेगा, पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है।

एक ही परिवार के तीन सदस्यों की संदेहास्पद मौत को लेकर बैगा समाज ने भी सवाल उठाया है बैगा जनजाति में दाह संस्कार की परंपरा नहीं है, इसके बावजूद प्रशासन ने दबाव पूर्वक शव का दाह संस्कार करवाना, प्रशासन का यह कृत्य षडयंत्र और छुपाने के संदेह का आधार है।

मामले की गंभीरता को देखते हुये आपसे आग्रह है इस मामले की न्यायिक जांच करवाने का कष्ट करें।