पत्रकार के हत्या की सुपारी मामले में तहसीलदार सुरेंद्र साय पैंकरा समेत कई पर FIR दर्ज...

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सूरजपुर विशेष रिपोर्ट

सूरजपुर जिले में पत्रकारिता पर हमले और सत्ता–माफिया गठजोड़ का एक सनसनीखेज और लोकतंत्र को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। पत्रकार के हत्या की सुपारी देने के गंभीर आरोपों में लटोरी तहसीलदार सुरेंद्र साय पैंकरा, उनके करीबी भूमाफिया संजय गुप्ता, हरिओम गुप्ता, तथाकथित पत्रकार फिरोज अंसारी, उसके साले असलम सहित अन्य आरोपियों के विरुद्ध प्रतापपुर थाना में अपराध दर्ज कर लिया गया है।
यह मामला केवल एक आपराधिक साजिश नहीं, बल्कि प्रशासनिक भ्रष्टाचार, भूमाफिया नेटवर्क और पत्रकारों की आवाज दबाने की सुनियोजित कोशिश का जीवंत उदाहरण है।


भ्रष्टाचार उजागर करना बना “गुनाह”

हिंद स्वराष्ट्र और सिंधु स्वाभिमान के संपादकों द्वारा लटोरी तहसीलदार सुरेंद्र पैंकरा के विरुद्ध पूरे दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ कई खबरें प्रकाशित की गई थीं। इन खबरों में खुलासा हुआ था कि—
 • बिना कलेक्टर की अनुमति,
 • बिना पटवारी प्रतिवेदन,
 • नियमों को ताक पर रखकर
फर्जी तरीके से जमीन की रजिस्ट्री कराई गई।

खबरों के प्रकाशन के बाद SDM सूरजपुर शिवानी जायसवाल ने तहसीलदार को तीन कारण बताओ नोटिस जारी किया, लेकिन हैरानी की बात यह है कि चार महीने बीत जाने के बावजूद जांच रिपोर्ट आज तक लंबित है।


भूमाफिया–तहसीलदार गठजोड़

इस पूरे फर्जीवाड़े का सीधा संबंध लटोरी तहसील के ग्राम हरिपुर निवासी संजय गुप्ता और उसके पुत्र हरिओम गुप्ता से बताया गया है, जो वर्षों से जमीन दलाली के धंधे में सक्रिय हैं। आरोप है कि—
 • तहसीलदार से मिलीभगत कर
 • जमीनों का गैरकानूनी नामांतरण कराया गया,
 • और जब पत्रकारों ने इस रैकेट का पर्दाफाश किया तो धमकी, दबाव और अंततः हत्या की साजिश रची गई। पत्रकारों को यह कहते हुए डराया गया कि “तहसीलदार से दूर रहो, वरना अंजाम बुरा होगा।”


प्रधानमंत्री आवास और नामांतरण घोटाले की परतें

सिरसी ग्राम पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में घोटाले की खबर सामने आने के बाद जांच हुई और रोजगार सहायक नईम अंसारी को बर्खास्त किया गया।

इसी पंचायत से जुड़ा एक और गंभीर मामला सामने आया, जिसमें—
 • देवानंद कुशवाहा की 2 एकड़ जमीन,
 • कथित तौर पर 5 लाख रुपए रिश्वत लेकर,
 • उसके भाई बैजनाथ कुशवाहा के नाम कर दी गई।

आरोप है कि नामांतरण बैक डेट में किया गया, जिसकी जांच आज भी लंबित है।


हत्या की सुपारी: डेढ़ लाख में सौदा

पुलिस जांच में सामने आया कि पत्रकार प्रशांत पाण्डेय की हत्या की साजिश में—
 • तहसीलदार सुरेंद्र पैंकरा,
 • संजय गुप्ता, हरिओम गुप्ता,
 • प्रेमचंद ठाकुर, अविनाश ठाकुर,
 • संदीप कुशवाहा,
 • तथाकथित पत्रकार फिरोज अंसारी
 • और उसका साला असलम शामिल थे।

आरोप है कि डेढ़ लाख रुपए में हत्या की सुपारी दी गई और इसे अंजाम देने के लिए तीन बार प्रयास किए गए।


हत्या के तीन नाकाम प्रयास

० पहला प्रयास:

पत्रकारिता की आड़ लेकर संपादक को सिरसी बुलाया गया।
ट्रक से कुचलने की योजना बनाई गई।
लेकिन परिवार और छोटे बच्चे को साथ देखकर योजना टाल दी गई।

० दूसरा प्रयास:

शूटर असलम को बुलाया गया।
लेकिन इसी दौरान पत्रकार परिवार सहित उज्जैन (महाकाल दर्शन) चले गए और जान बच गई।

० तीसरा प्रयास:

20 सितंबर की रात, बनारस मार्ग पर बाइक से लौटते समय
कार से कुचलने की कोशिश की गई,
लेकिन अचानक भीड़ और गाड़ियों की आवाजाही से योजना विफल हो गई।


ग्रामसभा में फूटा राज

हरिपुर ग्रामसभा के दौरान आरोपियों के बीच आपसी फूट पड़ी और पूरी साजिश सार्वजनिक हो गई।
भरी पंचायत में—
 • संजय गुप्ता ने
 • धमकी देने,
 • सुपारी देने
 • और हत्या की योजना
स्वीकार करते हुए माफी मांगी।

जबकि हरिओम गुप्ता ने माफी से इनकार करते हुए “पंचायत के बाहर फैसला” करने की बात कही।


इन पर दर्ज हुआ अपराध

प्रतापपुर थाना में जिन पर FIR दर्ज की गई—
 • सुरेंद्र साय पैंकरा (तहसीलदार, लटोरी)
 • संजय गुप्ता
 • हरिओम गुप्ता
 • अविनाश ठाकुर
 • प्रेमचंद ठाकुर
 • संदीप कुशवाहा
 • तथाकथित पत्रकार फिरोज अंसारी
 • असलम

पुलिस का कहना है कि जांच तेज कर जल्द ही कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

चार महीने से जांच लंबित: लापरवाही या संरक्षण?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि—
 • जब इतने गंभीर आरोप,
 • दस्तावेजी सबूत,
 • और अब FIR तक दर्ज हो चुकी है,

तो SDM स्तर की जांच 4 महीने से क्यों अटकी है?

क्या यह—
 • विभागीय लापरवाही है?
 • या भ्रष्ट अधिकारी को दिया जा रहा संरक्षण?

अब इस पूरे मामले में अगला रास्ता अदालत ही नजर आ रहा है, क्योंकि—

“पद की गर्मी कोर्ट में नहीं चलती।”

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