​बड़ा खुलासा: 'रक्षक' ही निकला 'तस्कर'? कवर्धा में ग्रामीणों ने नायब तहसीलदार को धान तस्करी कराते रंगे हाथों दबोचा!

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​कवर्धा (विशेष संवाददाता): छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले से एक बेहद शर्मनाक और सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। सीमावर्ती रेंगाखर क्षेत्र में 'बाड़ ही खेत को खाने' वाली कहावत उस वक्त सच साबित हुई, जब ग्रामीणों ने खुद नायब तहसीलदार प्रेमनारायण साहू को मध्यप्रदेश से अवैध धान की तस्करी कराते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।

​आधी रात का 'खेल', ग्रामीणों ने किया फेल

घटना रेंगाखर थाना क्षेत्र के एमपी-सीजी बॉर्डर की है। ग्रामीणों का आरोप है कि आधी रात के अंधेरे में एक पिकअप और माजदा वाहन में भरकर भारी मात्रा में अवैध धान मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ लाया जा रहा था। जब ग्रामीणों ने इन गाड़ियों को रोका, तो वे दंग रह गए। गाड़ियों को पास कराने (escort) के लिए वहां कोई और नहीं, बल्कि खुद नायब तहसीलदार प्रेमनारायण साहू मौजूद थे।

​वीडियो वायरल: वर्दी पर दाग या सिस्टम का पाप?

ग्रामीणों ने मौके पर ही इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर आग की तरह वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे ग्रामीण अधिकारी को घेरकर सवाल-जवाब कर रहे हैं और अधिकारी के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। ग्रामीणों के आक्रोश के आगे प्रशासनिक रूतबा भी बौना नजर आया।

​ग्रामीणों का सीधा आरोप: 'चेकपोस्ट सूने, तस्करों की चांदी'

गुस्साए ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं:

​मिलीभगत का खुला खेल: ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है। अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से रोज रात में सैकड़ों क्विंटल धान बॉर्डर पार कराया जा रहा है।

​बेरिकेड्स सिर्फ दिखावा: सरकार ने तस्करी रोकने के लिए बेरिकेड्स लगाए हैं और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है, लेकिन रेंगाखर चेकपोस्ट पर अक्सर सन्नाटा रहता है। ग्रामीणों का आरोप है कि जानबूझकर तस्करों को 'सेफ पैसेज' देने के लिए बेरिकेड्स खाली छोड़े जाते हैं।

​सरकारी खजाने में सेंधमारी

छत्तीसगढ़ सरकार अपने किसानों का धान 3100 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर खरीद रही है, जबकि मध्यप्रदेश में भाव कम है। इसी मुनाफे के लालच में बिचौलिये (कोचिए) एमपी का धान सीजी में खपा रहे हैं। लेकिन जब प्रशासन का ही एक जिम्मेदार अधिकारी (नायब तहसीलदार) तस्करों का सारथी बन जाए, तो सवाल उठना लाजमी है कि सरकार को चूना लगाने वाला असली गुनाहगार कौन है?

​प्रशासन में हड़कंप, लीपापोती की कोशिश?

इस घटना के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि, दबी जुबान में अधिकारी इसे गश्त (petrolling) या गलतफहमी बताने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वायरल वीडियो और ग्रामीणों के बयान कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। अब देखना यह है कि क्या इस मामले में उच्च स्तरीय जाँच होगी या फिर रसूख के दम पर फाइल दबा दी जाएगी?

​जनता का सवाल: क्या मुख्यमंत्री और कलेक्टर इस मामले को संज्ञान में लेकर तस्करी के इस 'सरकारी सिंडिकेट' पर बुलडोजर चलाएंगे?


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