मुख्यालय में नहीं रहती महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजन अधिकारी, जिला पंचायत सभापति सावित्री अजय कँवर ने कलेक्टर से किया शिकायत।
रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़ राज्य।
बरपाली - जांजगीर-चांपा जिला पंचायत कोरबा सभापति वन सामिति श्रीमती सावित्री अजय कँवर ने महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत एकीकृत बाल विकास बरपाली व करतला की परियोजना अधिकारी कीर्ति कुरियन जैन की शिकायत कोरबा कलेक्टर से की जिसमे उन्होंने लिखा कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत ग्राम बरपाली और करतला के एकीकृत बाल विकास परियोजना अधिकारी कीर्ति कुरियन जैन का वर्तमान मुख्यालय बरपाली है। कीर्ति कुरियन जैन अपने मुख्यालय में निवास नहीं करतीं हैं और हमेशा अनुपस्थित रहती है जिससे परियोजना का कार्य और परियोजना अंतर्गत आंगनबाड़ी का संचालन सही ढंग से नही हो पा रहा है। परियोजना अधिकारी के द्वारा अपने कार्य को कार्यालय में अनुपस्थित रहकर मोबाईल के माध्यम से अपने अधिनस्थ कर्मचारियों के द्वारा कराया जा रहा है। साथ ही परियोजना अधिकारी कीर्ति कुरियन जैन के मुख्यालय में कार्य दिवस के अधिकांश दिवस पर वह अनुपस्थित रहती हैं जिस कारण शासन के महत्वपूर्ण योजना के तहत गर्भवती महिलाओं, बच्चों, बालिकाओं को सुविधा तथा लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। परियोजना अधिकारी कीर्ति कुरियन जैन हमेशा सप्ताह में एक-दो दिन कार्यालय आकर मुश्किल से 1-2 घंटा ही काम करती हैं जिससे योजना के तहत प्राप्त होने वाली लाभ व सुविधा से हितग्राहियों को वंचित होना पड़ रहा है। साथ ही परियोजना अधिकारी कीर्ति कुरियन जैन अपने अधिनस्थ कर्मचारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाईल पर दिशा निर्देश देती हैं तथा उन पर समुचित ढंग से नियंत्रण व कार्य पर नियमित निगरानी नहीं किया जाता रहा है जिससे इस परियोजना अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी कार्य नियंत्रण के आभाव में मनमाने हो गये है। कहा जा सकता है कि जैसा उच्च अधिकारी वैसे उनके कर्मचारी सुपरवाइजर हो चुकें है। यदि इस कीर्ति कुरियन जैन के अनुपस्थिति पर तत्काल नियंत्रण व कार्यवाही नहीं किया गया तो शासन के महत्वपूर्ण योजना के लाभ से महिलाओं व बच्चों को और अधिक वंचित होना पड़ेगा। शिकाय पत्र की प्रतिलिपि महिला एवं बाल विकास विभाग जिला कार्यालय व विभाग की मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को प्रेषित कर उचित कार्यवाही की मांग की गई है।
इस तरह से सुशासन की राज में सुशासन चल रहा है क्योंकि आदिवासी मुख्यमंत्री होने के नाते भी किसी भी प्रकार का प्रशासनिक दबाव नहीं है प्रशासनिक अधिकारियों के ऊपर केवल सुशासन की परिभाषा को रट कर शासन चलाने में भारतीय जनता पार्टी की सरकार खोखला साबित हो रही है हर तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला है जिसकी वजह से प्रशासनिक तौर से किसी भी प्रकार का भय नाम का चीज नहीं हैं।
कुछ भी काम होता है तो सरकारी मिशनरियों का दुरुपयोग सबसे ज्यादा हो रहा है महिलाओं की भारी भीड़ लाना है कि ले जाना है तो महिला बाल विकास अधिकारी जनपद पंचायत के अधिकारी कर्मचारियों को लगा दिया जाता है ड्यूटी पर वहीं पर पंचायत स्तर के सचिन को लगा दिया जाता है इस तरह से सरकारी मिशनरियों का दुरुपयोग हो रहा है।

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