घरघोड़ा में 'माफिया राज' : पुलिस को चाहिए 'एंट्री', पार्षद को चाहिए 'हिस्सा', कुरकुट नदी का सीना छलनी?...

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 नई सरकार के सुशासन के दावे फेल? कृषि कार्य के नाम पर रजिस्टर्ड ट्रेक्टरों से हो रहा कमर्शियल खेल, भाजपा पार्षद बना 'सरगना'...


रायगढ़। जिले के घरघोड़ा में कानून का राज खत्म हो चुका है और 'माफिया राज' हावी है। नई सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करती है, लेकिन घरघोड़ा तहसील में प्रशासन की नाक के नीचे कुरकुट नदी को दिन-दहाड़े लूटा जा रहा है। हालात यह हैं कि खनिज विभाग कुंभकर्णी नींद में है, पुलिस के कुछ मुलाजिम 'मंथली वसूली' में व्यस्त हैं और रेत तस्करी की कमान एक 'माननीय' (पार्षद) के हाथों में है।


खाकी पर दाग : 'एंट्री' दो और बेधड़क निकलो - सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे खेल में वर्दी वाले भी बराबर के हिस्सेदार हैं। आरोप है कि थाने में पदस्थ कुछ आरक्षक रेत तस्करों से 1000 से 2000 रुपये की मासिक 'एंट्री फीस' (Monthly) वसूल रहे हैं। जो यह रकम नहीं देता, उसे धमकाया जाता है और जो दे देता है, उसकी गाड़ी चाहे एसडीएम बंगले के सामने से निकले या थाने के सामने से, कोई रोकने वाला नहीं है। रक्षक ही जब भक्षक बन जाएं, तो कार्रवाई की उम्मीद किससे की जाए?


'कृषि पुत्र' नहीं, यह तो 'माफिया मित्र' हैं : क्षेत्र की सड़कों पर दौड़ रहे सैकड़ों ट्रेक्टरों का रजिस्ट्रेशन 'कृषि कार्य' (Agriculture Use) के लिए हुआ है, जिससे उन्हें टैक्स में छूट मिलती है। लेकिन इनका उपयोग खेतों में नहीं, बल्कि बैय्हामुढा, कंचनपुर और करीछापर के घाटों से रेत चोरी करने में हो रहा है। रोजाना सैकड़ों ट्रिप रेत घरघोड़ा, तमनार, बसनपाली और रायकेरा में खपाया जा रहा है। राजस्व को लाखों का चूना लग रहा है, पर आरटीओ और खनिज विभाग खामोश हैं।


सिस्टम को चुनौती देता 'राजनीतिक सरगना' : इस अवैध कारोबार का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि इसका मास्टरमाइंड सत्ताधारी पार्टी (भाजपा) का एक पार्षद बताया जा रहा है। आकाओं के आशीर्वाद से यह पार्षद अब रेत माफियाओं का सरगना बन चुका है। चर्चा है कि ट्रेक्टर तो छोटी बात है, अब हाईवा जैसी बड़ी गाड़ियों से भी नदी का सीना चीरा जा रहा है। जब बाड़ ही खेत को खाने लगे, तो नदी को कौन बचाएगा?


प्रशासन की भूमिका संदिग्ध : घरघोड़ा एसडीएम कार्यालय और थाने के ठीक सामने से ओवरलोड गाड़ियां गुजरती हैं। क्या अधिकारियों को यह धूल के गुबार और ट्रेक्टरों का शोर सुनाई नहीं देता? या फिर 'अंदरूनी मिलीभगत' ने इनकी आँखों पर पट्टी बांध दी है?


जिला कलेक्टर से सवाल : जिले में पदस्थ ऊर्जावान कलेक्टर से जनता सवाल पूछ रही है-


* ​क्या अवैध उत्खनन पर कार्रवाई सिर्फ फाइलों तक सीमित रहेगी?

* ​कृषि ट्रेक्टरों का कमर्शियल उपयोग करने वालों पर वाहन राजसात (Zubti) की कार्रवाई कब होगी?

* ​वसूली करने वाले पुलिसकर्मियों और संरक्षण देने वाले नेताओं पर हंटर कब चलेगा?


​जब तक बड़ी मछलियों और संरक्षणदाताओं पर ठोस कार्रवाई नहीं होगी, कुरकुट नदी का अस्तित्व ऐसे ही मिटता रहेगा।

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