छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में विशाल स्वदेशी मेला का आयोजन किया गया ।

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छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति एवं हस्तशिल्प निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी एवं बिक्री भी किया गया ।



रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़ राज्य।






रायपुर///////////// जांजगीर चांपा।


                                    रायपुर। राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज ग्राउंड में आयोजित स्वदेशी मेला में कला और संस्कृति की भव्य झलक देखने को मिली। इस अवसर पर कलाकर वर्षा सिन्हा को उनके उत्कृष्ट नृत्य योगदान के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कला प्रेमी, विद्यार्थी, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

स्वदेशी मेले का उद्देश्य भारतीय परंपराओं, स्वदेशी उत्पादों और लोक-संस्कृति को बढ़ावा देना है। इसी क्रम में शास्त्रीय नृत्य को समर्पित यह सम्मान समारोह आयोजन की विशेष आकर्षण रहा। मंच पर वर्षा सिन्हा ने भरतनाट्यम की भावपूर्ण प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके नृत्य में भाव, लय और ताल का सुंदर समन्वय देखने को मिला। प्रस्तुति के दौरान दर्शकों की तालियों की गूंज से पूरा परिसर गूंज उठा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने वर्षा सिन्हा को शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भरतनाट्यम जैसी शास्त्रीय नृत्य विधाएं भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं और इन्हें आगे बढ़ाने में कलाकारों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्षा सिन्हा ने अपनी साधना, अनुशासन और समर्पण से नृत्य कला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।

सम्मान ग्रहण करते हुए कलाकर वर्षा सिन्हा ने आयोजकों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी मेला जैसे मंच कलाकारों को अपनी कला प्रस्तुत करने और समाज से जुड़ने का अवसर देते हैं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे भारतीय शास्त्रीय कलाओं को सीखें, समझें और आगे बढ़ाएं। वर्षा सिन्हा ने यह भी कहा कि कला केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कार और संस्कृति को जीवित रखने का सशक्त साधन है।

स्वदेशी मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत लोकनृत्य, संगीत, नाट्य प्रस्तुतियां और स्वदेशी उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है। मेले में देशभर से आए कारीगरों और कलाकारों ने अपने हस्तशिल्प और कलाकृतियों का प्रदर्शन किया, जिसे लोगों ने खूब सराहा।

आयोजकों के अनुसार, मेले का उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत की भावना को मजबूत करना और पारंपरिक कलाओं को प्रोत्साहन देना है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में भी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह आयोजित किए जाएंगे।

कुल मिलाकर, रायपुर के साइंस कॉलेज ग्राउंड में आयोजित स्वदेशी मेला न केवल स्वदेशी उत्पादों का उत्सव बना, बल्कि भारतीय शास्त्रीय कला और कलाकारों के सम्मान का भी सशक्त मंच सिद्ध हुआ। कलाकर वर्षा सिन्हा का सम्मान इस बात का प्रतीक रहा कि हमारी संस्कृति आज भी जीवंत है और नई पीढ़ी को प्रेरणा देने में सक्षम है।


इस तरह से राजधानी रायपुर में स्वदेशी मेला का आयोजन किया गया यह इस बात का संकेत देता है कि भारत देश में बनी हुई वस्तुओं का उपयोग किया जाना चाहिए विदेशी माल को बहिष्कार करना चाहिए कहा जाता है कि देसी दूध शुद्ध गाय का दूध एवं दही स्वादिष्ट रहता है इस तरह से स्वदेशी निर्मित वस्तुएं काफी अच्छी लगती है।



हमारे संवाददाता कहते हैं कि इस तरह से राजधानी रायपुर ही नहीं संपूर्ण भारत में स्वदेशी मेला का आयोजन होता है हस्त शिल्प निर्मित वस्तुओं का प्रदर्शनी एवं विक्रय किया जाता है।


रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़ राज्य।

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