रामानुजगंज में बड़ा प्रशासनिक उल्लंघन अपर कलेक्टर के स्टे ऑर्डर के बावजूद ज़मीन का ऑनलाइन नामांतरण

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उच्च अधिकारी के आदेश को धता बताकर RI ने किया नामांतरण, पीड़ित परिवार न्याय से वंचित

रामानुजगंज। प्रशासनिक पारदर्शिता और कानून के राज पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए रामानुजगंज में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां अपर कलेक्टर द्वारा जारी स्पष्ट स्थगन आदेश (Stay Order) के बावजूद राजस्व निरीक्षक (RI) ने न केवल विवादित भूमि का नामांतरण (Mutation) किया, बल्कि उसे ऑनलाइन प्रणाली में भी दर्ज कर दिया। इस कार्रवाई से पीड़ित परिवार के अन्य वैध हिस्सेदारों को बिना सूचना और सुनवाई के उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया।


इस पूरे मामले को लेकर रामानुजगंज निवासी श्री नवीन कुमार तिवारी ने प्रशासन के उच्च अधिकारियों से शिकायत की है और इसे जानबूझकर, मनमानी व कानून-विरोधी कार्रवाई बताया है।



क्या है पूरा मामला?


पीड़ित श्री नवीन कुमार तिवारी के अनुसार, उनके परिवार की वसीयत (Will) से जुड़ी संपत्ति पर उनके एक भाई द्वारा नामांतरण के लिए आवेदन किया गया था। इस पर विवाद उत्पन्न होने के बाद मामला प्रशासनिक न्यायालय तक पहुँचा।


▪ SDM स्तर पर सुनवाई नहीं होने पर अपील

श्री तिवारी का कहना है कि SDM कार्यालय से अपेक्षित न्याय न मिलने पर उन्होंने अपर कलेक्टर के न्यायालय में अपील दायर की।


▪ अपर कलेक्टर से मिला स्टे ऑर्डर

अपील पर सुनवाई के बाद अपर कलेक्टर ने नामांतरण की प्रक्रिया पर स्पष्ट रूप से स्थगन आदेश (Stay Order) जारी कर दिया।


▪ RI और तहसील कार्यालय में स्टे की प्रति जमा

श्री तिवारी के अनुसार, इस स्टे ऑर्डर की प्रति उन्होंने संबंधित राजस्व निरीक्षक (RI) और तहसीलदार कार्यालय में विधिवत जमा कराई थी।



स्टे ऑर्डर की खुली अवहेलना


सबसे गंभीर आरोप यह है कि स्टे ऑर्डर की जानकारी होने के बावजूद, राजस्व निरीक्षक ने

अन्य कानूनी हिस्सेदारों को कोई सूचना नहीं दी,

कोई सुनवाई नहीं की,

और विवादित भूमि का ऑनलाइन नामांतरण पूरा कर दिया।


श्री तिवारी का आरोप है कि राजस्व निरीक्षक ने “स्टे ऑर्डर की धज्जियाँ उड़ाते हुए” यह कार्रवाई की, जिससे न्यायिक आदेश की सरेआम अवहेलना हुई।



कानूनी दृष्टि से कितना गंभीर मामला?


कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह मामला सीधे तौर पर न्यायिक आदेश की अवमानना की श्रेणी में आता है। इसमें कई गंभीर कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है—


▪ IPC की धारा 166 (A)

यदि कोई लोक सेवक कानून के तहत दिए गए निर्देश की जानबूझकर अवहेलना करता है और उससे किसी व्यक्ति को नुकसान पहुँचता है, तो यह अपराध की श्रेणी में आता है।


▪ अवमानना अधिनियम, 1971 (Contempt of Courts Act)

अपर कलेक्टर का न्यायालय प्रशासनिक मामलों में न्यायिक शक्तियाँ रखता है। उनके आदेश की जानबूझकर अवहेलना सिविल अवमानना मानी जा सकती है।


▪ राजस्व संहिता और प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन

नामांतरण प्रक्रिया में

सभी हितधारकों को सूचना देना,

सुनवाई का अवसर देना

अनिवार्य है। इस मामले में Natural Justice के सिद्धांतों का खुला उल्लंघन हुआ है।



पीड़ित की मांग और आगे की राह


पीड़ित श्री नवीन कुमार तिवारी ने प्रशासन से मांग की है कि—

अवैध नामांतरण को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए,

दोषी राजस्व निरीक्षक के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाए,

और न्यायिक आदेश की अवमानना को लेकर कानूनी कार्यवाही शुरू की जाए।



प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल


यह मामला इस बात का उदाहरण बनता जा रहा है कि उच्च अधिकारियों के न्यायसंगत आदेशों के बावजूद, यदि निचले स्तर पर अधिकारी मनमानी करें, तो आम नागरिक कैसे न्याय प्राप्त करेगा। रामानुजगंज की यह घटना प्रशासनिक जवाबदेही, पारदर्शिता और कानून के सम्मान पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।


अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस गंभीर उल्लंघन पर क्या कार्रवाई करता है, या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।

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