हाईवोल्टेज ड्रामा : विधायक शकुंतला पोर्ते की 'कुर्सी' पर खतरा ! कलेक्टोरेट में धारा-144, चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा...

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रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा।

बलरामपुर। जांजगीर चांपा। प्रतापपुर विधायक शकुंतला पोर्ते की विधायकी रहेगी या जाएगी? इस सवाल का जवाब आज बलरामपुर की फिजाओं में गूंज रहा है। 'फर्जी' जाति प्रमाण पत्र के विवाद ने अब सियासी बवंडर का रूप ले लिया है। आज होने वाली सुनवाई से पहले ही प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हैं। हालात यह हैं कि कलेक्टोरेट परिसर को किले में तब्दील कर दिया गया है।

आज आर-पार की लड़ाई - 27 नवंबर को नेशनल हाईवे जाम करने वाले सर्व आदिवासी समाज के उग्र तेवरों को देखते हुए प्रशासन ने इस बार कोई रिस्क नहीं लिया है। कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने साफ़ कर दिया है - "हंगामा किया तो खैर नहीं।"

* धारा-144 लागू : कलेक्टोरेट के 500 मीटर के दायरे में सन्नाटा पसरा है। 4 लोग भी एक साथ खड़े नहीं हो सकते।

* पुलिस का चक्रव्यूह : प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए भारी पुलिस बल और अतिरिक्त फोर्स तैनात है। आदेश तोड़ने वालों पर सीधे FIR (धारा 188) का अल्टीमेटम है।

क्या UP की बेटी ने हड़प लिया छत्तीसगढ़ का हक? - विवाद की जड़ बेहद गहरी है। आरोप इतने गंभीर हैं कि अगर साबित हुए, तो विधायक की सदस्यता जाना तय है।

* ​बड़ा खुलासा: याचिकाकर्ताओं का दावा है कि शकुंतला पोर्ते छत्तीसगढ़ की नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के मऊ की बेटी हैं। वहां उनकी जाति SC में आती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में उन्होंने खुद को 'गोंड़' (ST) बताकर चुनाव लड़ लिया।

* ​नियमों की धज्जियां? आरोप है कि 2002-03 में एसडीएम ने नियमों को ताक पर रखकर, पति की जाति के आधार पर प्रमाण पत्र जारी कर दिया। सवाल यह है कि क्या प्रशासन तब सो रहा था?

विधायक का पलटवार : "मैं यही की बेटी हूँ" - चारों तरफ से घिरीं विधायक शकुंतला पोर्ते ने इसे "सियासी साजिश" करार दिया है। उनका कहना है कि उनका जन्म अंबिकापुर में हुआ और शिक्षा बलरामपुर में। लेकिन, आदिवासी समाज का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। उनका सीधा आरोप है- "प्रशासन मामले को लटका रहा है, जानबूझकर देरी की जा रही है।"


आज क्या होगा? - सुबह 11 बजे से जिला स्तरीय छानबीन समिति 'दूध का दूध और पानी का पानी' करने बैठी है। हाईकोर्ट की तलवार लटकी है, आदिवासी समाज का दबाव है और बाहर पुलिस का पहरा है।


​बलरामपुर में आज सियासत की सबसे बड़ी 'अग्निपरीक्षा' है। नज़रें टिकी हैं कि क्या आज फैसला होगा या फिर मिलेगी एक और 'तारीख पे तारीख'?



इसी तरह से छत्तीसगढ़ राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के संबंध में भी जाती प्रमाण पत्र वाली मामला हाई कोर्ट तक के एवं सुप्रीम कोर्ट तक गया हुआ था की अजीत जोगी असली आदिवासी है कि नकली आदिवासी इस तरह से आज शकुंतला की जाति प्रमाण पत्र की सत्यता पर प्रश्न चिन्ह लग चुका है अब इस प्रश्न चिन्ह का पटाक्षेप क्या उत्तर प्रदेश से जानकारी मांगेगा छत्तीसगढ़ शासन की छत्तीसगढ़ शासन ही इसका जवाब प्रस्तुत करेगा कार्यालय कलेक्टर बलरामपुर सत्यता की जांच सही रूप में कर पाएगी कि नहीं।



लोकतंत्र के राजनेता के द्वारा फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर राज करने वाले को संरक्षण प्राप्त हो जाता है वहीं पर सरकारी विभाग में भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर अधिकारी कर्मचारी बनकर बैठे हैं उनके भी सभी जाति प्रमाण पत्रों का सत्यापन करना आवश्यक है।


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