रायपुर। बहुचर्चित छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) ने बड़ी कार्रवाई की है। रिटायर्ड आईएएस और पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास को हिरासत में लेने के बाद शुक्रवार को विशेष कोर्ट में पेश किया गया। ईओडब्ल्यू आरोपी का रिमांड भी मांग सकती है।
सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे निरंजन दास
जांच एजेंसियों के मुताबिक, निरंजन दास पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, तत्कालीन विशेष सचिव आबकारी अरुणपति त्रिपाठी, व्यवसायी अनवर ढेबर और अन्य के साथ शराब सिंडिकेट का हिस्सा थे। इस गठजोड़ ने आबकारी विभाग की मिलीभगत से करोड़ों का राजस्व नुकसान पहुंचाया।
करोड़ों का घोटाला और अवैध शराब कारोबार
सिंडिकेट पर आरोप है कि सरकारी शराब दुकानों में कमीशन वसूला जाता था। डिस्टिलरियों से अतिरिक्त शराब बनवाई जाती थी। विदेशी ब्रांड की अवैध सप्लाई और डुप्लीकेट होलोग्राम का इस्तेमाल कर अनियमित शराब बेची जाती थी। हर होलोग्राम पर 8 पैसे कमीशन तय किया गया, जिससे राज्य को लगभग 1200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
होलोग्राम टेंडर में गड़बड़ी
चार्जशीट के अनुसार, निरंजन दास ने नोएडा की कंपनी प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स को अवैध रूप से टेंडर दिलवाया। यह कंपनी योग्य नहीं थी, लेकिन टुटेजा और त्रिपाठी के साथ मिलकर टेंडर की शर्तें बदली गईं। इस गड़बड़ी के जरिए डुप्लीकेट होलोग्राम तैयार कर अवैध शराब को वैध दिखाया गया।
झारखंड तक फैली साजिश
जांच में सामने आया कि निरंजन दास और उनके सहयोगियों ने झारखंड की आबकारी नीति में बदलाव की भी साजिश रची। जनवरी 2022 में हुई बैठकों में छत्तीसगढ़ मॉडल को लागू कर वहां भी अवैध लाभ कमाया गया।
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