रायपुर। गरियाबंद में फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी (पीएचई) विभाग ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए विभाग प्रयासरत है। कोर्ट ने बेहतर जल प्रबंधन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए और मामले की निगरानी करने का आश्वासन दिया। अगली सुनवाई नवंबर में होगी।
कोर्ट ने गरियाबंद सहित पूरे प्रदेश में स्वच्छ पानी की आवश्यकता पर जोर दिया। खासकर जिले के कई गांवों में पानी में फ्लोराइड की अधिकता के कारण बच्चों में डेंटल फ्लोरोसिस की समस्या उत्पन्न हो रही है। हाई कोर्ट ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना राज्य की जिम्मेदारी है।
सुनवाई के दौरान यह भी जानकारी सामने आई कि जिले के 40 गांवों में 6 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित फ्लोराइड रिमूवल प्लांट कुछ ही महीनों में बंद हो गए। पीएचई ने बताया कि 40 में से 24 संयंत्र सही तरीके से काम कर रहे हैं और बाकी को जल्द सुधारने का काम चल रहा है।
पीएचई ने बताया कि गरियाबंद में 10,060 हैंडपंप, 180 पाइप जलापूर्ति योजनाएं और 85 स्पॉट सोर्स योजनाएं संचालित हैं। इसके अतिरिक्त, 43 फ्लोराइड निष्कासन संयंत्र हैं, जिनमें से 42 चालू हैं। हैंडपंपों के माध्यम से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सभी स्रोतों का कीटाणुशोधन किया जा रहा है।
विभाग ने यह भी बताया कि बिजली की समस्या वाले दुर्गम क्षेत्रों में भी जल व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है, और स्कूलों तथा आंगनवाड़ियों में सुरक्षित पानी की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में स्कूलों में 43,925 और आंगनवाड़ियों में 41,668 टेपनल स्थापित हैं।
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