यह भी कहा जा रहा है कि वन विकास निगम के अफसरों ने मामले को दबाने के लिए विशेषज्ञों के बगैर ही बाइसन के शव का पोस्टमॉर्टम करा दिया। घटना एक सप्ताह पहले की बताई जा रही है।

जानकारी के अनुसार, विधानसभा चुनाव के मतदान से पहले एटीआर से लगे वन विकास निगम के कोटा परिक्षेत्र के शिवतराई क्षेत्र के सरहिया बीट के कक्ष क्रमांक पी 173 के जंगल में एक बाइसन की लाश पड़ी थी। बाइसन की उम्र 7-8 साल के बीच बताई जा रही है। बाइसन का शव मिलने की सूचना वन विकास निगम के अफसरों को दी गई।

जिसके बाद घटनास्थल पर पहुंचे अधिकारियों ने जांच के बगैर ही पशु चिकित्सकों की टीम बुलाकर उसके शव का पोस्टमॉर्टम करा दिया।

इस पूरे मामले को अफसरों ने दबा दिया। बाइसन की मौत की जानकारी लेने के लिए दैनिक भास्कर ने वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार पांडेय से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।

हैरानी की बात यह है कि अब मामला सामने आने के बाद वन विकास निगम के अफसर बाइसन की मौत की वजह उसकी शारीरिक परेशानी को बता रहे हैं। जबकि, आसपास के लोगों का कहना है कि बाइसन की मौत करंट की चपेट में आने से हुई है।

घटनास्थल से कुछ दूरी पर बिजली का तार भी गुजरा है। जहां शिकारियों के बिजली तार से करंट लगाने की आशंका जताई जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि घटनास्थल के पास एक पालतू सुअर की भी मौत हुई है। हालांकि, अफसरों ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

बताया जा रहा है कि चुनावी माहौल के बीच जंगल में बाइसन की मौत के इस मामले को अफसरों ने दबाने का प्रयास किया। यही वजह है कि वन्यप्राणियों की मौत पर मीडिया रिपोर्ट जारी करने वाले विभाग के अफसरों ने भी बाइसन की मौत को सार्वजनिक नहीं किया। जब घटना सामने आई, तब अफसर इसे सामान्य बताकर दबाने की कोशिश करते रहे। अफसरों का दावा है कि विशेषज्ञों की टीम की मौजूदगी में शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया है।