कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया

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 नरेंद्र अरोड़ा मनेन्द्रगढ़--इस दिन खासतौर पर गौ माता की पूजा और सेवा करने का विधान है। इसी परंपरा के तहत कोरिया और एमसीबी जिले में मंदिर और गौशाला में जाकर लोगों ने गाय और बछड़ों की पूजा की. इस सम्बन्ध में मनेन्द्रगढ़ के श्री राम मंदिर के महंत पंडित श्री ओम नारायण द्विवेदी ने बताया कि मान्यता के अनुसार इस दिन सर्वप्रथम भगवान कृष्ण ने गायों को चराना आरंभ किया था, इसलिए इस दिन गौ माता के साथ बछड़े की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि यदि गोपाष्टमी के दिन विधि-विधान से गाय का पूजन व सेवा की जाए तो देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गाय की पूजा करने से श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इस दिन गाय की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार गाय में 36 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। धार्मिक ग्रथों में गाय के बारे में लिखा है: “जब देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन हुआ, तो बहुत से रत्न निकले, जिनमें कामधेनु गाय भी शामिल थी। कामधेनु पवित्र थी इसलिए ऋषि-मुनि उसे अपने पास रखते थे। श्रीमद्भागवत गीता में उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण बचपन में गायों के साथ खेलते थे और गायों की सेवा भी करते थे। उन्हें गायों से बहुत प्यार था। गोपाष्टमी पर गायों की पूजा करने से सौभाग्य, सुख और समृद्धि आती है। इसी परम्परा के तहत आज मनेन्द्रगढ़ के श्री राम मंदिर में गाय और बछड़ों की भी पूजा की गई.


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