प्रतापपुर विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र का संगीन आरोप, आदिवासी समाज ने की आपराधिक केस दर्ज करने की मांग

Views



बलरामपुर/प्रतापपुर। छत्तीसगढ़ के प्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र से एक बड़ा विवाद सामने आया है। स्थानीय आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने प्रतापपुर विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते पर फर्जी एवं कूटरचित जाति प्रमाण पत्र का उपयोग करने का गंभीर आरोप लगाते हुए वाड्रफनगर पुलिस चौकी में लिखित शिकायत दर्ज कराई है।


आवेदकों का कहना है कि विधायक ने वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति (ST) हेतु सुरक्षित सीट प्रतापपुर से चुनाव लड़ने के लिए जिस जाति प्रमाण पत्र का उपयोग किया, वह झूठा, कूटरचित और संदिग्ध है। शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि विधायक का जाति आधार बदलकर प्रमाण पत्र जारी कराया गया, जो कानूनन अपराध है।



क्या है पूरा मामला?


शिकायत पत्र के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं—


1. जाति प्रमाण पत्र पर संदेह


आवेदकों के अनुसार विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते ने चुनाव नामांकन के दौरान ऐसा जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया, जिसकी वैधता संदिग्ध है।

उन्हें यह प्रमाण पत्र अनुविभागीय अधिकारी (SDM) द्वारा कुछ दस्तावेजों के आधार पर जारी किया गया, जबकि—

2001–2002 के पूर्व के रेकॉर्ड में संबंधित जाति का कोई उल्लेख नहीं मिलता।

वर्ष 2003 की जनगणना रपट (फॉर्म 34) में भी संबंधित जाति का जिक्र नहीं है।


2. जिला स्तरीय जाति सत्यापन समिति में जांच लंबित


जिला स्तरीय समिति द्वारा अभी तक अंतिम सत्यापन नहीं किया गया है।

शिकायतकर्ताओं का कहना है कि जब तक सत्यापन पूर्ण नहीं होता, तब तक प्रमाण पत्र वैध घोषित नहीं माना जा सकता, फिर भी विधायक ने इसे चुनाव हेतु इस्तेमाल किया।


3. कूटरचना का आरोप


शिकायत में आरोप है कि—


अनुविभागीय अधिकारी वाड्रफनगर

अमलेश्वरपुर कार्यालय के कर्मचारी

अंबिकापुर व बलरामपुर कार्यालय


सभी ने मिलकर तथ्यों को छुपाते हुए जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिया, जो IPC की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत अपराध है।


आदिवासी समाज की मांग


आवेदकों ने पुलिस चौकी प्रभारी को दिए आवेदन में माँग की है कि—

1. विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के जाति प्रमाण पत्र की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।

2. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रमाण पत्र जारी करने वाले अनुविभागीय अधिकारी वाड्रफनगर पर भी FIR दर्ज की जाए।

3. संबंधित सभी अधिकारियों/कर्मचारियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए।


शिकायतकर्ताओं की संयुक्त हस्ताक्षरित पहल


आवेदन पर अनेक प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हैं, जो “मासस आदिवासी समाज, विधानसभा क्षेत्र—प्रतापपुर” के नाम से शिकायत कर रहे हैं।

शिकायत की प्रतियां—


पुलिस महानिरीक्षक (सुरजपुर रेंज)

पुलिस अधीक्षक, बलरामपुर–रामानुजगंज

SDOP वाड्रफनगर को भी भेजी गई हैं।


क्या कहती है राजनीति?


यह मामला प्रतापपुर की राजनीति में भूचाल ला सकता है।

जाति प्रमाण पत्र का मुद्दा अक्सर SC/ST आरक्षित सीटों में बेहद संवेदनशील माना जाता है।

यदि जांच में आरोप सिद्ध होते हैं तो—


विधायक की सदस्यता प्रभावित हो सकती है

चुनाव आयोग हस्तक्षेप कर सकता है

संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई सम्भव है


आगे की स्थिति


पुलिस ने आवेदन प्राप्त कर लिया है। अब देखा जाना है कि—

क्या पुलिस प्राथमिक जाँच शुरू करती है?

क्या SDM कार्यालय से रिकार्ड मांगे जाएंगे?

और क्या जिला स्तरीय समिति त्वरित सत्यापन करेगी?


0/Post a Comment/Comments

Ads 1

Sidebar Ads