छत्तीसगढ़ में मुआवजा राशि एक्सीडेंटल में भेदभाव करने के विषय।

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रिपोर्टर राकेश कुमार साहू। 


जांजगीर चांपा। छत्तीसगढ़ राज्य में दुर्घटना में मरने वालों को एक्सीडेंट होने पर मुआवजा राशि जो देती है शासन वह भेदभावपूर्ण कार्यवाही के अंतर्गत देती है राज्य शासन वह इस प्रकार से है। 


आदिवासी हरिजन वर्ग का अगर रेल में एक्सीडेंट हो जाता है मोटर एक्सीडेंट हो जाता है एवं किसी भी प्रकार की एक्सीडेंट हो जाती है और उसे वर्ग का पुरुष हो या महिला दोनों अगर मर जाते हैं तो मरने वालों के परिवार को 10-10 लाख मुआवजा राशि देती है एवं आश्रित को किसी भी विभाग में नौकरी देता है राज्य शासन के अंतर्गत या किसी कंपनी में यह कैसा नीति है की एक्सीडेंट होने पर मर जाता है तो शासन के अनुसार संविधान के अनुसार मोटर एक्सीडेंट नियम में ₹500000 दिया जाता है वही ऐसा क्यों किया जाता है कि मृतक परिवार को 10-10 लाख की मुआवजा राशि राज्य शासन द्वारा घोषणा कर प्रदान कर दिया जाता है।


पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक वर्ग सामान्य वर्ग के महिला या पुरुष की दुर्घटना में मृत हो जाने पर मात्र ₹200000 ही देकर राज्य शासन अपनी कार्यवाही को पूर्ण कर नास्ति बनाकर कर देता है ऐसा क्यों किया जाता है क्या वर्ग विशेष में राज्य शासन कार्यकर्ता है जबकि देश में समानता का अधिकार है समान कानून परिपालन किया जाता है मगर उसे परिपालन के अंतर्गत भेदभावपूर्ण कार्यवाही किया जाता है अगर मृतक परिवार किसी भी रोड में लाश को रखकर मार्ग अवरुद्ध कर दिया जाता है तो उसे परिवार के विरुद्ध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर उसके खिलाफ में कानूनी कार्यवाही करना चालू कर देता है राज्य शासन ऐसा क्यों किया जाता है किस लिए किया जाता है यह कैसी विडंबना है कि मृतक के परिवार को सही लाभ क्यों नहीं दे पता एवं किसी भी संस्था किसी भी कंपनी में एवं राज्य शासन में नौकरी क्यों नहीं देता।


अभी इसी वर्ष बिलासपुर में हाई वोल्टेज करंट सप्लाई होने पर प्रताप बर्मन के परिवार वालों को केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा 26 से 27 लख रुपए मुआवजा राशि दिया गया यही स्थिति ओबीसी सामान्य एवं अल्पसंख्यक वर्ग वालों को क्यों शोषण कर रही है इस मामले में मुआवजा राशि का निश्चित सीमा निर्धारित कर देना चाहिए 500000 है तो ₹500000 ही एक्सीडेंट में करने वाले के परिवार को तत्काल देना चाहिए एवं अनुग्रह राशि को 50000 से ₹100000 करना चाहिए क्योंकि आजकल महंगाई के जमाने में ₹50000 कोई महीना नहीं रखता।


राज्य शासन के द्वारा मृतक के परिवार को किसी भी सरकारी संस्था किसी भी अर्थशास्त्रीय संस्था में नौकरी देने का प्रावधान कर चुका है।


हमारे संवाददाता कहते हैं कि जब नरियारा नगर पंचायत में एक्सीडेंट में एक मृतक के परिवार को मुआवजा राशि ₹100000 राज्य शासन के द्वारा दिया गया वह न्यायोचित नहीं हैं। 


वहीं दूसरी तरफ अकलतरा में जब एक्सीडेंट हुई तो उसके परिवार वालों को ₹400000 राशि दिया गया यह समाचार में जारी हो चुका है ऐसा क्यों किया जाता है क्या राज्य शासन अपने कार्यवाही में जातिगत समीकरण के आधार पर मुआवजा राशि को निर्धारित कर रखा है कि भारतीय संविधान के अनुसार में निर्धारित कर रखा है मुआवजा राशि को यह कैसी विडंबना है कि ऐसी भेदभाव पूर्ण कार्यवाही कर रही है।


राज्य शासन को यह करना चाहिए कि किसी भी जाति वर्ग किसी भी संप्रदाय किसी भी का व्यक्ति दुर्घटना में मृत हो जाता है तो उसकी मुआवजा राशि को 10 लख रुपए देने का निर्णय लेना चाहिए जो की काफी अच्छी ।


रिपोर्टर राकेश कुमार साहू जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़ राज्य।


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