वट सावित्री के दिन दोपहर 1:30-3:00 बजे तक नहीं है पूजा का योग, जानें शुभ मुहूर्त

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 रायपुर। देश भर की महिलाएं वैट सावित्री की पूजा को लेकर तैयारियों में जुटी हुईं है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल वट सावित्री का व्रत 6 जून 2024 दिन गुरुवार को है। बता दें कि दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति को अकालमृत्यु से बचाने के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन सावित्री ने अपनी भक्ति और श्रद्धा से यमराज को प्रसन्न करके मृत सत्यवान को जीवित किया था। साथ ही अखंड सौभाग्यवती का वरदान भी प्राप्त किया था।

मान्यता है कि सावित्री ने यमराज से वरदान के रूप में यह मांगा था कि जो सुहागिन महिलाएं ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट वृक्ष की पूजा विधि-विधान से करती हैं उनके पति की अकाल मृत्यु नहीं होगी। उस दिन से ही वट सावित्री व्रत की शुरुआत हो गई।

वट सावित्री के दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करने के साथ ही साथ कच्चे सूत या कलावा से 7 बार वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। साथ ही पूजा में रोली, कलावा, पान, कच्चा आम, सुपारी और फल आदि का सामान भी अर्पित करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जरूरतमंदों को जल और पंखा का दान करना बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है।

वैदिक पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून को रात 7 बजकर 55 मिनट पर हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 06 जून 2024 दिन गुरुवार की शाम 06 बजकर 07 मिनट पर होगी।

पूजा करने का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, वट सावित्री के दिन पूजा करने का शुभ समय सूर्योदय के बाद शुरू हो जाएगा। यानी सुबह 5 बजकर 34 मिनट से पूरे दिन पूजा कर सकते हैं। लेकिन ध्यान देने की बात है कि दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम के 3 बजे तक वट सावित्री व्रत की पूजा नहीं की जा सकती है। बाकी पूरे दिन में पूजा कर सकते हैं।

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