परंपरा अनुसार मनाया जा रहा गणगौर का पर्व

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 नरेंद्र अरोड़ा /  मनेन्द्रगढ़.भारतीय नववर्ष विक्रम संवत, चैत्र मास के* अवसर पर राजस्थानी मारवाड़ की लोक कथाओं परंपराओं के तहत मनाए जाने वाले पर्वों की श्रंखला में मनेन्द्रगढ़ में गणगौर पर्व उत्साह पूर्वक मनाया गया, यह मंगल पर्व ईसरजी (भगवान शंकर) व गणगौर जी (पार्वती) का पूजन अर्चन के साथ व्रत, उपवास, गीत आदि कार्यक्रम कर महिलाओं द्वारा अपने अखंड सौभाग्य, परिवार व देश की समृद्धि शांति संपन्नता के लिए वर्षों से मनाया जाता है।

भारतीय नववर्ष विक्रम संवतके अवसर पर राजस्थानी मारवाड़ की लोक कथाओं परंपराओं के तहत मनाए जाने वाले पर्वों की श्रंखला में गणगौर पर्व मनाया गया । इस मंगल अवसर पर महिलाएं सौभाग्य श्रंगार के साथ सजधज कर उत्साह और उमंग से त्यौहार में शामिल होकर परंपराओं को बनाए रखने में वर्षों बाद भी अग्रणी है। नगर में प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी यह उत्सव आस्था के साथ मनाया गया। जिसमें  समाज की महिलाओं ने  चल प्रतिमाएं स्थापित कर तीन दिन तक मान्यताओं के अनुरूप पूजा अर्चना की. ईसर गणगौर प्रतिमा जो काष्ठ की बनी रहती हैं उन्हें आज कार्यक्रम के अंतिम दिन  शोभायात्रा निकालकर एकत्र होकर समापन की बेला में झाला वारना के नाम से विख्यात स्वागत, विदाई, सौभाग्य कामना के परंपरागत मंगल गीतों का सामूहिक आयोजन होगा । इस अवसर पर  समाज के पुरुष वर्ग ने भी उपस्थित रहकर आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।  महिला मंडल की अध्यक्ष  ने बताया गणगौर पर्व पर मुख्य रूप से शंकर पार्वती के रूप में पूजन किया जाता है। वास्तव में इसकी शुरुआत होली के दिन से होती है। प्रत्येक घर में मिट्टी की प्रतिमा व जवारे की स्थापना की जाती है। सामूहिक रूप से तीन दिवसीय कार्यक्रम होता है। तदोपरांत उत्सव प्रतिमाओं को मंदिर में रख दिया जाता है। जवारे एवं मिट्टी की छोटी प्रतिमाएं विसर्जित किए जाते हैं। उल्लेखनीय है गणगौर उत्सव में पालीवाल, ओसवाल, राजस्थानी ब्राह्मण महिलाएं शामिल होती है राजस्थानी सोनी समाज भी इस प्रकार का आयोजन करता है। इस अवसर पर सुमन कातेला, प्रमिला कातेला, उमा सोनावत, चित्रलेखा छाजेड,नेहा कोठारी, आकांक्षा बोथरा, शीला, शांति सेठिया, मधु, मोनिका, विनीता, प्रियंका प्रतिभा बोथरा  समेत समाज की महिलाएं काफी संख्या में मौजूद रही.


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