गौर तलब है कि सीएस चौकी के पूर्व प्रभारी कृष्णा साहू के विरुद्ध क्यामुद्दीन हसन उर्फ़ पन्ना पन्ना निवासी टीपी नगर कोरबा के एक मामले में अवैध गिरफ्तारी व विधि विरुद्ध गिरफ्तारी के संबंध में क्यामुद्दीन हसन के द्वारा अपने अधिवक्ता कमलेश साहू के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष आर्टिकल 21 के उल्लंघन कर गिरफ्तार जेल दाखिल किए जाने के संबंध में याचिका प्रस्तुत की थी जिसमें माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा सीएसईबी चौकी प्रभारी की को तरीके से क्यामुद्दीन हसन को गिरफ्तार कर जेल दाखिल करने का दोषी मानते हुए 25000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है ओके मामले में उपरोक्त मामले में 30 दिवस के भीतर जमाने की राशि अदा करने के संबंध में राज्य सरकार को निर्देशित किया है ध्यान देने वाली बात यह भी रही है कि यह वही प्रभारी रहे हैं जिनके विरुद्ध पूर्व में भी माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा मनमाना और गैर जिम्मेदार कार्रवाइयों के संबंध में ₹200000 का जुर्माना पूर्व में भी लगाया गया था ।
साथ ही तथा अवैध गिरफ्तारियां के संबंध में न्यायालय मानना की कार्यवाही का दोषी पाते हुए अब मानना की कार्यवाही माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा की जा रही है लगातार अवैध गिरधारियों के संबंध में हो रही पूर्व थाना प्रभारी पर कार्यवाहियां इस बात को पूरी तरह से बताती है कि जिस तरह से पूर्व थाना चौकी प्रभारी कृष्णा साहू के द्वारा मनमाना पूर्ण कार्यवाही करते हुए लोगों के विरुद्ध कानून का दुरुपयोग करते हुए जो कारवाइयां की गई उनका परिणाम वर्तमान में उन्हें प्राप्त हो रहा है अब देखा जाना यह है कि इनके विरुद्ध पुलिस विभाग लगातार उच्च न्यायालय के द्वारा की जा रही कार्रवाइयों के परिणाम स्वरुप पुलिस अधिनियम के तहत में किस प्रकार से कार्रवाई करता है और कितनी शीघ्र करता है उच्च न्यायालय के द्वारा की गई कार्यवाही अपने आप में उन अधिकारियों में एक संदेश पैदा करेगा जो शक्तियों का दुरुपयोग करने में अपने आप को माहिर समझते हैं । माननीय उच्च न्यायालय की कार्यवाही अपने आप में शक्तियों के दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों पर एक सबक होगा
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